देखती रहती हूँ मैं मेरे ख्वाबों को टूटते हुए और बहते हुए। देखती रहती हूँ मैं मेरे ख्वाबों को टूटते हुए और बहते हुए।
सुख दुख की लिखती परिभाषा भावों के लिखती सारे इशारे सुख दुख की लिखती परिभाषा भावों के लिखती सारे इशारे
डूब के हर शब, रोज़ ही उभरा है 'प्रभात', क्या हुआ जो तुमने तमाम रौशनियाँ बुझा दी। डूब के हर शब, रोज़ ही उभरा है 'प्रभात', क्या हुआ जो तुमने तमाम रौशनियाँ बुझा दी...
नहीं मिल पाती कभी भी मंज़िलें हर रोज़ इस शून्य के घेरे में आ जाती हैं नई नई उलझनें नहीं मिल पाती कभी भी मंज़िलें हर रोज़ इस शून्य के घेरे में आ जाती हैं नई नई उल...
कभी सही तो कभी गलत, तो कभी दिल की राह को चुन लेता हूँ, रोज़ सुबह मैं इस उलझन में रहता हूँ । कभी सही तो कभी गलत, तो कभी दिल की राह को चुन लेता हूँ, रोज़ सुबह मैं इस उल...
मेरी प्रीत सच्ची है जो कसमें खाई वो पक्की है, जिस दिन से तुम हो चले गए, हम तो वहीं मेरी प्रीत सच्ची है जो कसमें खाई वो पक्की है, जिस दिन से तुम हो चले गए, ...